Counsellor | Writer | Poet | Lyricist | Composer | Singer.
JMFA 2017 Winner of the best lyricist.
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मुझे खिलौना बना देगी
या मौला तू मुझे हमेशा बच्चा ही रहने देना बड़ा हो गया तो दुनिया मुझे खिलौना बना देगी ~ मनीष शर्मा
तुम ना बदलना
भले ही बदले शहर की आब ओ हवा और मिज़ाज़ हम ना बदलेगें, तुम ना बदलना बदले चाहे उम्र के कितने भी पड़ावं ~ मनीष शर्मा
रास्ते बदलता रहा
मंज़िलें भला कब तलक इंतज़ार करतीं मेरा मैं मुसाफ़िर मोड़ दर मोड़ रास्ते बदलता रहा ~ मनीष शर्मा
किसकी तलाश में
किसकी तलाश में हम दर दर उम्र भर भटके सींचतें रहे ताउम्र वही मिट्टी हाथों में ना ठहरी ~ मनीष शर्मा
सीख लेने के बाद
अब कुछ सीखने का मन नहीं तुझसे ’’सीख’’ लेने के बाद ~ मनीष शर्मा
कवि और शायर ना होता
लोग कहते हैं मैं बड़ा उलझा उलझा सा शख़्स हूँ मैं कहता हूँ गर मैं सुलझा सुलझा सा होता तो शायद ’’कवि और शायर’’ ना होता ~ मनीष शर्मा
