Counsellor | Writer | Poet | Lyricist | Composer | Singer.
JMFA 2017 Winner of the best lyricist.
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ख़्वाबों को हक़ीक़त की शक़्ल
ख़्वाबों को हक़ीक़त की शक़्ल देने के लिए अब जागती आँखों से ख़्वाब देखता हूँ मैं ~ मनीष शर्मा
ये मैं ही जानूँ
ख़ुश हूँ या नहीं, ये मैं ही जानूँ तुमने जो देखा मुझमें वो मेरा बहरूपिया हैं ~ मनीष शर्मा
मैं तुझे भूल गया
मैं तुझे भूल गया, तू भी मुझे भूल जाज़िंदगी जीने को मिली है, गुज़ारें क्यों ? ~ मनीष शर्मा
दूजे के पास ज़्यादा क्यूँ है
बशर का ग़म ये नहीं है कि उसके पास दौलत कम है वो ग़म में डूबा इसलिए कि दूजे के पास ज़्यादा क्यूँ है ? ~ मनीष शर्मा
वो नज़रें चुराते फ़िरते हैं
दिल मिला था जिनसे कभी आज वो नज़रें चुराते फ़िरते हैं ~ मनीष शर्मा
ख़ुद ही से लड़ रहा हूँ मैं
दिन और रात अब बस ख़ुद ही से लड़ रहा हूँ मैं इसलिए अब किसी से भी नहीं झगड़ रहा हूँ मैं ~ मनीष शर्मा
