Counsellor | Writer | Poet | Lyricist | Composer | Singer.
JMFA 2017 Winner of the best lyricist.
Similar Posts
दिल फिसल जाता है
ना जाने क्यों मुझे हर दफ़े इश्क हो जाता है होश में होता हूँ मैं पर कमबख़्त दिल फिसल जाता है ~ मनीष शर्मा
पन्ने नहीं पलटे
मुकद्दर की धूल झाड़ रहा हूँ कब से ख़ुदा ने इसके पन्ने नहीं पलटे ~ मनीष शर्मा
मैं सुलग रहा हूँ तेरे बिना
सर्द रातें लोग ठिठुर रहे हैं मैं सुलग रहा हूँ तेरे बिना ~ मनीष शर्मा
सर्द रात
सर्द रात चाँद की चाँदनी से ही ख़ुद को सेंक लेता हूँ जलता है जब बदन तो तेरी यादों के दरिया में डुबकी ले लेता हूँ ~ मनीष शर्मा
मृत्युशय्या पर तू इंतज़ार करेगा
मृत्युशय्या पर तू इंतज़ार करेगा, जिनसे मिलने का मौसर पर वही लोग, अंगुलियाँ चाटते नज़र आयेगें ’’मनीष’’ ~ मनीष शर्मा
मैं कुछ ख़्वाब बुनता हूँ
रात भर मूँदकर के आँखें मैं कुछ ख़्वाब बुनता हूँ सवेरे की रोशनी सारे ख़्वाबों का क़तरा क़तरा जला देती हैं ~ मनीष शर्मा

