Counsellor | Writer | Poet | Lyricist | Composer | Singer.
JMFA 2017 Winner of the best lyricist.
Similar Posts
जब हम साथ थे
जब हम साथ थे तुम कहते थे, दिल सुनता था अब हम जुदा है ज़माना कहता है, दिमाग़ सुनता है ~ मनीष शर्मा
सीख लेने के बाद
अब कुछ सीखने का मन नहीं तुझसे ’’सीख’’ लेने के बाद ~ मनीष शर्मा
तुम जानती हो मुझे काफी है
अब किसी पहचान का मोहताज़ नहीं हूँ मैं मुझसे बेहतर तुम जानती हो मुझे काफी है ~ मनीष शर्मा
छिपाये छिपा है कहीं
उसका चेहरा सौ रंग बदले कोई एक भाव रूकता ही नहीं पल में माशा, पल में तोला इश्क़ ज़ालिम, छिपाये छिपा है कहीं ~ मनीष शर्मा
तेरे क़रीब आना
मैं अब ख़ुद ही से बहुत दूर हो चला तेरे क़रीब आना बस एक ख़्वाब रहा ~ मनीष शर्मा
ज़ाइक़ा नीम का
जिसकी ज़िंदगी में, कभी कोई आज़ार ना आयी उस शख़्स की ज़ुबाँ क्या जाने, ज़ाइक़ा नीम का ~ मनीष शर्मा
