Counsellor | Writer | Poet | Lyricist | Composer | Singer.
JMFA 2017 Winner of the best lyricist.
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ऐतबार तेरा ना करते
ऐतबार तेरा ना करते तो करते भी किसका यूँ तो देखा हमने उस ख़ुदा को भी नहीं है ~ मनीष शर्मा
उस मुक़ाम पर पहुँचना है मनीष
एक दिन तुम्हें उस मुक़ाम पर पहुँचना है “मनीष” जहाँ पे तेरा ग़लत भी, जहाँ को सही नज़र आये ~ मनीष शर्मा
मैंने दर्द के समंदर को
मैंने दर्द के समंदर को अपनी पलकों तले छिपा रखा है भीतर तूफाँ आये ग़म नहीं तुम तक एक बूँद ना छलकेगी ~ मनीष शर्मा
अपना ख़ुदा कर लिया है
जब से तुमने नज़रें फेरी तब से ख़ुद को नज़रबंद कर लिया है मस्ज़िद का ख़ुदा रूठे तो रूठे अब तुम्हें अपना ख़ुदा कर लिया है ~ मनीष शर्मा
ना अपना सको तुम अगर मुझे
ना अपना सको तुम अगर मुझे तो तुम मुझे रूह तलक झूठा कर दो झूठी चीज़ों को ज़माना ठुकरा देता है ~ मनीष शर्मा
सच सहमा मौन रहा
सच सहमा मौन रहा झूठ नग्न नाचता रहा दोष मुझे ना दे ज़माना गर मैं बाग़ी हो जाऊँ ~ मनीष शर्मा
